Rich Dad Poor Dad Summary in Hindi – पूरी किताब का सार

  by finmaster 

सच कहूँ तो, जब पहली बार मैंने "रिच डैड पुअर डैड" किताब सुनी थी, तो मुझे लगा था यह कोई अमीर बाप की कहानी है जो बेटे को बिजनेस के गुर सिखाता है। लेकिन जब पढ़ी, तो पता चला कि यह तो हम सबकी कहानी है। यह किताब सिर्फ पैसे कमाने के तरीके नहीं बताती, बल्कि हमारे दिमाग में पैसे के बारे में चल रही पूरी "प्रोग्रामिंग" बदल देती है।



रॉबर्ट कियोसाकी ने जो लिखा, वो कोई नया फॉर्मूला नहीं है। यह तो वही पुरानी समझ है जो हमारे दादा-परदादा को थी, लेकिन हम आधुनिक शिक्षा और नौकरी के चक्कर में भूल गए। आज मैं आपसे इस किताब की सीख को हमारे भारतीय संदर्भ में समझने की कोशिश करूँगा।

दो बापों की कहानी: हम सबके अंदर का संघर्ष

कियोसाकी के जीवन में दो बाप थे। एक उनके असली पिता (पुअर डैड), जो पढ़े-लिखे, नौकरीपेशा इंसान थे। दूसरे थे उनके दोस्त माइक के पिता (रिच डैड), जो ज्यादा पढ़े नहीं थे लेकिन व्यापार की गहरी समझ रखते थे।
हमारा "पुअर डैड" माइंडसेट:
यह वह आवाज हैजो हम सबके दिमाग में चलती है। "पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब।" "सरकारी नौकरी पकड़ लो, जिंदगी सेट है।" "घर-गाड़ी का लोन ले लो, EMI भरते रहो।" हमारे समाज में यही सोच गहराई से बैठी है। हम गारंटीड नतीजे चाहते हैं। हफ्ते के अंत में सैलरी स्लिप चाहिए। पेंशन का लालच दिखाकर हम जिंदगी भर एक ही जगह काम कर देते हैं।

हमारा "रिच डैड" माइंडसेट:

दूसरीतरफ, रिच डैड की सीख थी - "पैसे के लिए मत काम करो, पैसे से काम करना सीखो।" यह वह सोच है जो हमारे समाज के सेठ-साहूकारों, पारिवारिक व्यवसाय चलाने वालों में होती है। यह सोच सुरक्षा नहीं, अवसर ढूँढती है। इसे नौकरी नहीं, व्यवसाय पसंद है।
सच तो यह है कि हम सबके अंदर ये दोनों आवाज़ें लड़ती रहती हैं। एक आवाज कहती है, "अरे, यह नौकरी अच्छी चल रही है, शांति से रहो।" दूसरी आवाज कहती है, "पता नहीं इस नौकरी से कब तक चलेगा, कुछ अपना शुरू करना चाहिए।"

वो मुख्य सीखें जो जिंदगी बदल देती हैं

1. अमीर आदमी पैसे के लिए काम नहीं करता, पैसा उसके लिए काम करता है

यह पूरीकिताब की सबसे बड़ी सीख है। हममें से ज्यादातर लोग पैसे कमाने के लिए काम करते हैं। हमारा समय और मेहनत, पैसे से बदली जाती है। जब काम बंद, पैसा बंद।
रिच डैड ने सिखाया कि असली अमीरी तब है जब आप ऐसे साधन बनाएँ जो आपके सोते-जागते, छुट्टी पर, यहाँ तक कि सोते समय भी आपके लिए पैसा कमाएँ। हमारे भारतीय संदर्भ में समझिए:
  • पुअर डैड सोच: "मैं महीने के 50,000 रुपये कमाता हूँ, इसलिए मैं 50,000 का खर्च कर सकता हूँ।
  • "रिच डैड सोच: "मैंने एक मकान खरीदा और किराए पर दिया जो मुझे हर महीने 15,000 रुपये देता है। अब मुझे सिर्फ 35,000 रुपये कमाने की जरूरत है
हमारे यहाँ तो यह सोच पुरानी है। ज्यादातर परिवार गाँव में जमीन खरीदते थे ताकि खेती से कुछ आमदनी रहे। शहर में लोग एक मकान खुद रहने के लिए और दूसरा किराए पर देने के लिए खरीदते थे। यही तो "पैसे से पैसा कमाना" है।

2. एसेट और लायबिलिटी को समझो - यही सबसे बड़ा राज है

कियोसाकीने बच्चों जैसी आसान भाषा में दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण फाइनेंशियल नियम समझाया: "एसेट वह है जो आपकी जेब में पैसा डालता है। लायबिलिटी वह है जो आपकी जेब से पैसा निकालता है।"
हमारी सबसे बड़ी गलती यह है कि हम लायबिलिटी को एसेट समझ बैठते हैं।
उदाहरण देखिए:
  • आपकी नई कार (जिस पर आप EMI भर रहे हैं) = लायबिलिटी (पेट्रोल, मरम्मत, बीमा, EMI - सब पैसा निकाल रहा है)
  • वह पुराना स्कूटर जो आपने किश्तों पर खरीदा था और अब उसे किराए पर देते हैं = एसेट (हर महीने पैसा दे रहा है)
  • आपका घर जिसमें आप रहते हैं और होम लोन चुका रहे हैं = लायबिलिटी
  • वह छोटा कमरा जो आपने शहर में किराए पर दिया हुआ है = एसेट


हमारा मिडिल क्लास माइंडसेट हमें लायबिलिटीज जमा करने के लिए प्रेरित करता है - बड़ी कार, बड़ा टीवी, नया फोन। रिच डैड की सीख है - पहले एसेट्स खरीदो जो तुम्हारे लिए पैसा कमाएँ, फिर उस पैसे से लायबिलिटीज खरीदो।

3. फाइनेंशियल इंटेलिजेंस सबसे जरूरी स्किल है

हमारीशिक्षा प्रणाली में सब कुछ पढ़ाया जाता है - गणित, विज्ञान, इतिहास - लेकिन पैसे को कैसे मैनेज करें, यह नहीं सिखाया जाता। हमें लगता है कि अच्छी नौकरी मिल जाए तो पैसों की समस्या हल हो जाएगी। सच तो यह है कि ज्यादातर लोग ज्यादा कमाने के बाद और ज्यादा कर्ज में डूब जाते हैं।

फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यह समझना है कि:

  • टैक्स कैसे काम करता है और कैसे कानूनी तरीके से टैक्स बचाया जा सकता है
  • निवेश के अलग-अलग विकल्प क्या हैं (सिर्फ FD और सोना ही नहीं)
  • बैलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट कैसे पढ़ते हैं
  • रिस्क को कैसे मैनेज करते हैं

4. अपना खुद का बिजनेस शुरू करो

यहाँएक गलतफहमी है। रिच डैड का मतलब यह नहीं कि नौकरी छोड़ दो। उनका मतलब है कि नौकरी करते हुए भी अपना "बिजनेस" शुरू करो।
हमारे संदर्भ में यह कैसे हो सकता है:

  • आप एक टीचर हैं और ट्यूशन पढ़ाते हैं (यह आपकी नौकरी है)। साथ ही आपने ऑनलाइन कोर्स बनाया है जो हर महीने बिक रहा है (यह आपका बिजनेस है)।
  • आप एक बैंक में काम करते हैं, और साथ ही आपने म्यूचुअल फंड में पैसा लगा रखा है (यह आपकी नौकरी है)। आपने एक छोटा सा होटल खोला है जो आपके भाई संभालते हैं (यह आपका बिजनेस है)।
बिजनेस का मतलब हमेशा बड़ी फैक्ट्री या कंपनी नहीं होता। वह आय का स्रोत जो आपकी दैनिक मेहनत पर निर्भर न हो, बल्कि सिस्टम पर चले।


हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कैसे लागू करें?

अब सवाल यह है कि इन सिद्धांतों को हम अपनी साधारण जिंदगी में कैसे उतारें?

1. पहला कदम: मानसिकता बदलो

सबसेपहले अपने दिमाग में बैठे "पुअर डैड" को पहचानो। जब भी तुम सोचो:

  • "मैं यह नहीं कर सकता क्योंकि..."
  • "यह बहुत रिस्की है..."
  • "हम गरीब लोगों के लिए यह सब नहीं है..."
यह पुअर डैड बोल रहा है। उसे धीरे-धीरे बदलो। छोटे-छोटे फाइनेंशियल एक्सपेरिमेंट करो।

2. अपना कैशफ्लो मैनेज करना सीखो

हर महीनेकी पहली तारीख को जो पैसा आता है, उसका बजट बनाओ। एक साधारण सा फॉर्मूला:

  • 50% जरूरतें (रहन-सहन, खाना, बच्चों की पढ़ाई)
  • 30% चाहतें (शॉपिंग, मूवी, घूमना)
  • 20% बचत और निवेश (यह सबसे जरूरी हिस्सा है)
इस 20% को सबसे पहले अलग करो। जैसे कोई किरायेदार हर महीने किराया देता है, वैसे ही तुम अपने "फ्यूचर सेल्फ" को हर महीने पैसा दो।

3. छोटे एसेट्स बनाना शुरू करो शुरुआत छोटे से करो:

  • क्या तुम्हारे पास कोई हुनर है जिससे ऑनलाइन कमाई हो सके? (लिखना, डिजाइन बनाना, वीडियो बनाना)
  • क्या तुम छोटी रकम को म्यूचुअल फंड SIP में लगा सकते हो?
  • क्या तुम कोई ऐसी चीज जानते हो जिससे दूसरों की मदद कर सकते हो और उसके बदले पैसा ले सकते हो?

4. बचत को निवेश में बदलो

हमारेयहाँ बचत का मतलर है FD करना या सोना खरीदना। यह ठीक है, लेकिन काफी नहीं। निवेश वह है जहाँ पैसा बढ़ता है। आज के जमाने में:

  • म्यूचुअल फंड SIP सबसे आसान तरीका है
  • PPF, NPS जैसे टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स
  • अगर समझ है तो सीधे शेयर बाजार में निवेश
  • डिजिटल गोल्ड, क्रिप्टो जैसे नए विकल्प (थोड़ा रिस्क के साथ)

5. लायबिलिटीज कम करो

जोचीज तुम्हारी जेब से पैसा निकाल रही है, उसे कम करो:
  • क्या तुम्हें इतनी बड़ी कार की सच में जरूरत है? क्या छोटी कार से काम चल सकता है?
  • क्या तुम अपने क्रेडिट कार्ड के पूरे बिल का भुगतान करते हो या सिर्फ मिनिमम अमाउंट?
  • क्या तुम्हारे पास ऐसी सब्सक्रिप्शन हैं जिनका तुम इस्तेमाल ही नहीं करते? (OTT प्लेटफॉर्म, मैगजीन आदि)

आखिर में :

यह सफर है, मंजिल नहीं रिच डैड पुअर डैड को पढ़कर यह न सोचो कि अब तुम एक हफ्ते में करोड़पति बन जाओगे। यह किताब तो सिर्फ शुरुआत है। यह तुम्हारी सोच बदलती है, रास्ता दिखाती है। सबसे महत्वपूर्ण बात: यह किताब तुम्हें यह नहीं सिखाती कि पैसा कैसे कमाया जाए। यह तुम्हें सिखाती है कि पैसे को अपना गुलाम कैसे बनाया जाए। कि तुम पैसे के पीछे भागने की बजाय, पैसे को अपने पीछे भगाओ। हमारे भारतीय संदर्भ में, हमारे पास पहले से ही यह ज्ञान था। हमारे पूर्वज कहते थे - "एक हाथ से खर्च करो, दूसरे हाथ से बचाओ।" "उद्यम से ही धन मिलता है, नौकरी से नहीं।" रिच डैड पुअर डैड सिर्फ वही पुरानी बातें नए तरीके से बता रही है। तो आज से ही शुरुआत करो। छोटे से। सिर्फ 500 रुपये की SIP शुरू करो। एक छोटा सा साइड बिजनेस आइडिया सोचो। अपने खर्चों पर नजर रखो। धीरे-धीरे, तुम देखोगे कि तुम्हारा फाइनेंशियल स्वास्थ्य सुधरने लगा है।

याद रखो: अमीर बनने का रास्ता नौकरी से नहीं, बल्कि फाइनेंशियल समझ से होकर जाता है। और यह समझ कोई जन्म से नहीं लाता, इसे सीखना पड़ता है। रिच डैड पुअर डैड उसी सीख की पहली सीढ़ी है। आज ही यह निर्णय लो कि तुम पैसे के मालिक बनोगे, गुलाम नहीं। बाकी सब रास्ता खुद-ब-खुद बनता चला जाएगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बीमा: क्या होता हैं ? कैसे काम करता है? जाने विस्तार से -

Education loan क्या होता हैं?

अपने परिवार के लिए सही Life Insurance Plan कैसे चुनें?