Demat Account क्या होता है? कैसे खोलते हैं? जानिए आसान भाषा में -

  by finmaster 

सोचिए ज़रा, अगर आज भी शेयर खरीदने के लिए आपको कागज़ के मोटे-मोटे सर्टिफिकेट लेकर चलना पड़ता, हर बार बेचते समय उन पर दस्तखत करवाने पड़ते, और चोरी या आग लगने के डर से उन्हें तिजोरी में बंद रखना पड़ता... कितनी मुश्किल होती न? पुराने ज़माने में ऐसा ही हुआ करता था। लेकिन आजकल आप एक क्लिक में शेयर खरीद और बेच लेते हैं। यह कमाल एक छोटे से, पर बहुत ज़रूरी खाते की वजह से हो पाता है, जिसका नाम है ‘डीमैट अकाउंट’। असल में, डीमैट अकाउंट आपके शेयरों, बॉन्ड्स और म्यूचुअल फंड्स को सुरक्षित रखने का एक डिजिटल बैग या डिजिटल लॉकर है। जैसे आपके बैंक खाते में पैसे रहते हैं, वैसे ही इस खाते में आपकी सारी इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटीज़ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रहती हैं। इसका पूरा नाम ‘डी-मटीरियलाइज्ड अकाउंट’ है, यानी भौतिक रूप हटाकर डिजिटल रूप में बदला हुआ खाता। 1996 में आने के बाद से, इसने भारत में शेयरों के कारोबार का पूरा चेहरा ही बदल दिया है।


दिसंबर 2025 का नज़ारा: क्या चल रहा है बाज़ार में?

शेयर बाजार मेंनिवेश की दिलचस्पी बढ़ने के चलते डीमैट अकाउंट्स की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। जुलाई 2025 तक, सिर्फ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर ही 23 करोड़ से ज़्यादा ट्रेडिंग अकाउंट्स दर्ज हो चुके थे। जुलाई के महीने में ही 45.5 लाख से अधिक नए डीमैट अकाउंट खुले, जो पिछले छह महीनों में सबसे ज़्यादा था। हालाँकि, इस साल नए अकाउंट खुलने की रफ्तार पिछले साल के मुकाबले कुछ धीमी भी रही है। लेकिन कुल मिलाकर, यह साफ है कि ज़्यादा से ज़्यादा भारतीय अब शेयर बाज़ार की तरफ रुख कर रहे हैं। चलिए अब इसके बारे में और विस्तार से जानते हैं।

डीमैट अकाउंट क्यों है बिल्कुल ज़रूरी?

क्या आप बिना बैंक खाते के ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं? नहीं न। ठीक वैसे ही, शेयर बाज़ार में ऑनलाइन निवेश या ट्रेडिंग करने के लिए डीमैट अकाउंट होना अब एक अनिवार्य शर्त है। यह सिर्फ एक फॉर्मलिटी नहीं, बल्कि आपकी सुरक्षा और सुविधा का आधार है। पुराने ज़माने के भौतिक सर्टिफिकेट्स में चोरी, जालसाजी, क्षति या गुम होने का बहुत जोखिम था। डीमैट अकाउंट ने इन सभी समस्याओं को लगभग खत्म कर दिया है, क्योंकि अब आपके शेयर पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित हैं। यह सब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के कड़े नियमों के तहत होता है, जो आपके निवेश की रक्षा करता है।

डीमैट अकाउंट क्या रख सकता है? सिर्फ शेयर ही नहीं!

बहुत से लोग सोचते हैं कि डीमैट अकाउंट सिर्फ शेयर रखने के काम आता है। पर ऐसा नहीं है। यह आपके लगभग सभी तरह के निवेशों का डिजिटल घर बन सकता है। 

इसमें आप निम्नलिखित चीज़ें रख सकते हैं:

  • शेयर और स्टॉक्स
  • सरकारी बॉन्ड्स
  • कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और डिबेंचर्स
  • म्यूचुअल फंड्स (जो शेयर बाज़ार में ट्रेड होते हैं)
  • एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF)
  • गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़
  • ई-गोल्ड और रिट्स/इन्विट्स
  • आईपीओ (नए इश्यू) में आवेदन के लिए भी यही खाता काम आता है।

यह पूरा सिस्टम कैसे चलता है? तीन मुख्य खिलाड़ी

डीमैट अकाउंट का काम करने के लिए तीन पक्ष एक साथ मिलकर काम करते हैं:

1. डिपॉजिटरी: 

यह वह संस्था है जो वास्तव में आपके सभी डिजिटल शेयरों को स्टोर करके रखती है। भारत में दो मुख्य डिपॉजिटरी हैं: नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज़ लिमिटेड (CDSL)।

2. डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP):

यह वह बैंक या ब्रोकरेज कंपनी है, जिसके साथ आप अपना डीमैट अकाउंट खुलवाते हैं। एंजल वन, आईसीआईसीआई डायरेक्ट, ज़ेरोधा, या आपका बैंक (जैसे एसबीआई, एचडीएफसी) एक DP का काम करते हैं। ये DP आपकी और डिपॉजिटरी के बीच एक ब्रिज का काम करते हैं।

3. आप (निवेशक): 

आप अकाउंट धारक हैं। हर डीमैट अकाउंट को एक यूनिक 16-अंकों का नंबर दिया जाता है, जिसे बेनिफिशियरी ओनर आईडी (BO ID) कहते हैं।

डीमैट अकाउंट खोलने की पूरी प्रक्रिया: कदम-दर-कदम

आजकल डीमैट अकाउंट खोलना बेहद आसान और तेज़ हो गया है। आप ऑनलाइन या ऑफलाइन, दोनों तरीकों से खाता खोल सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया सबसे ज़्यादा पॉपुलर है।

1. एक DP (ब्रोकर या बैंक) चुनें: 

सबसे पहले आपको एक विश्वसनीय डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चुनना होगा। इसके लिए उनकी सेवाओं, ऐप की गुणवत्ता, शुल्क (ब्रोकरेज और वार्षिक रखरखाव शुल्क), और ग्राहक सहायता पर गौर करें।

2. ऑनलाइन आवेदन भरें: 

अपने चुने हुए DP की वेबसाइट या ऐप पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपनिंग के सेक्शन में जाएं। वहाँ आपसे आपका नाम, पता, ईमेल, मोबाइल नंबर और सबसे ज़रूरी – आपका पैन नंबर माँगा जाएगा।

3. दस्तावेज़ अपलोड करें (KYC): 

आपको पहचान और पते के प्रमाण के रूप में अपने दस्तावेज़ों की स्कैन कॉपी अपलोड करनी होगी। ज़्यादातर मामलों में, सिर्फ आपका आधार कार्ड और पैन कार्ड ही काफी होते हैं। इसके बाद एक आसान वीडियो KYC प्रक्रिया होती है, जहाँ आपको कुछ वाक्य लाइव बोलने होते हैं।

4. बैंक खाता लिंक करें: 

आपको अपने मौजूदा बचत खाते का विवरण देना होगा। यह जरूरी है ताकि शेयर बेचने पर पैसा इसी में आए और खरीदने के लिए पैसा इसी से जाए। कई कंपनियाँ '3-इन-1' खाते की सुविधा भी देती हैं, जहाँ बचत, डीमैट और ट्रेडिंग खाता एक साथ जुड़े होते हैं।

5. ई-साइन और सबमिट: 

सभी विवरण भरने के बाद, आपको आधार-लिंक्ड मोबाइल नंबर पर OTP के ज़रिए डिजिटल हस्ताक्षर करने होंगे। आवेदन जमा करने के बाद, सत्यापन पूरा होने पर कुछ ही घंटों या दिनों में आपका खाता सक्रिय हो जाता है और आपको आपका डीमैट अकाउंट नंबर (BO ID) मिल जाता है।

कितना खर्च आता है? शुल्क का ब्यौरा

डीमैट अकाउंट खोलना अक्सर मुफ्त होता है, लेकिन इसके रखरखाव और लेन-देन पर कुछ शुल्क लग सकते हैं, जो हर DP के लिए अलग-अलग होते हैं। इनमें शामिल हैं:

वार्षिक रखरखाव शुल्क (AMC): 

हर साल खाता चालू रखने का शुल्क, जो आमतौर पर ₹200 से ₹800 के बीच होता है।

लेनदेन शुल्क: 

जब आप शेयर बेचते हैं और वे आपके खाते से निकलते (डेबिट) हैं, तो कुछ ब्रोकर प्रति लेनदेन एक छोटा शुल्क लेते हैं।

डीमटीरियलाइज़ेशन शुल्क: 

अगर आपके पास पुराने भौतिक शेयर सर्टिफिकेट हैं, तो उन्हें डिजिटल रूप में बदलवाने का शुल्क।

एक से ज़्यादा डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?

हाँ! सेबी के नियमों के मुताबिक, एक व्यक्ति अलग-अलग DP के साथ एक से ज़्यादा डीमैट अकाउंट रख सकता है। हालाँकि, एक ही DP के साथ एक से ज़्यादा अकाउंट नहीं खोले जा सकते। कई अकाउंट रखने के फायदे भी हैं, जैसे अलग-अलग ब्रोकर की रिसर्च रिपोर्ट्स का लाभ उठाना या लॉन्ग-टर्म निवेश और शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग के पोर्टफोलियो को अलग रखना। लेकिन इसका नुकसान यह है कि हर अकाउंट का अलग AMC देना पड़ेगा, जिससे आपकी लागत बढ़ सकती है।

डीमैट अकाउंट के प्रकार :

आपकी जरूरत के हिसाब से डीमैट अकाउंट अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं:

नियमित डीमैट अकाउंट: 

भारत में रहने वाले अधिकांश निवेशकों के लिए यही मानक खाता होता है।

प्रत्यावर्तनीय डीमैट अकाउंट: 

यह खाता अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए होता है।

नाबालिग का डीमैट अकाउंट: 

माता-पिता या अभिभावक बच्चे के नाम पर यह खाता खुलवा सकते हैं, जब तक वह 18 साल का न हो जाए।

क्या हैं हाल के रुझान और भविष्य?

जुलाई 2025 के आँकड़े बताते हैं कि शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी अब भी मजबूत है। एनएसई के सीईओ ने कहा है कि अब देश के लगभग हर पिन कोड से निवेशक जुड़ चुके हैं। यह वृद्धि आसान डिजिटल ऑनबोर्डिंग, नए आईपीओ और बाजार की मजबूती की वजह से हुई है। सेबी और स्टॉक एक्सचेंज निवेशक जागरूकता पर भी जोर दे रहे हैं, ताकि नए निवेशक सतर्क और शिक्षित रहें। हालाँकि, बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते कभी-कभी नए अकाउंट खुलने की गति धीमी भी हो जाती है, जैसा 2025 में कुछ हद तक देखा गया।

निष्कर्ष :

डीमैट अकाउंट आज के डिजिटल निवेश युग की आधारशिला है। यह आपके निवेश को सुरक्षित, व्यवस्थित और प्रबंधनीय बनाता है। अगर आप शेयर बाजार में कदम रखना चाहते हैं, तो किसी विश्वसनीय ब्रोकर के साथ अपना डीमैट अकाउंट खोलना पहला और सबसे जरूरी कदम है। थोड़ी सी सावधानी और समझदारी से इस टूल का इस्तेमाल करके आप अपने वित्तीय लक्ष्यों की तरफ बढ़ सकते हैं।

अस्वीकरण: 

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी को वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए। निवेश से पहले स्वयं शोध करें और आवश्यकता हो तो किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। शेयर बाजार में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है।

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