Income Tax क्या होता है? किस किस को देना होता है? - नवंबर 2025 तक की पूरी जानकारी
By finmaster
क्या आपने कभी गौर किया है कि हमारी सैलरी से एक निश्चित हिस्सा "टैक्स" के नाम पर काट लिया जाता है? या फिर जब हम कोई सामान खरीदते हैं, तो उसके बिल पर "GST" का एक अतिरिक्त चार्ज होता है? यह 'टैक्स' असल में है क्या? साधारण शब्दों में कहें, Income Tax या आयकर, सरकार द्वारा हमारी आय पर लगाया जाने वाला एक Direct Tax है । यह वह टैक्स है जिसे हम सीधे सरकार को अपनी कमाई के एक हिस्से के रूप में देते हैं।
इसकी तुलना आप एक बड़े परिवार के मुखिया से कर सकते हैं। परिवार के सदून अपनी कमाई का एक हिस्सा मुखिया को देते हैं, और बदले में मुखिया उस पैसे से सभी के लिए जरूरी चीजें जैसे बिजली-पानी, सुरक्षा और शिक्षा का इंतजाम करता है। ठीक वैसे ही, हमारे द्वारा दिया गया Income Tax सरकार के लिए ईंधन का काम करता है। इसी पैसे से देश की सड़कें, अस्पताल, स्कूल, रक्षा व्यवस्था और सामाजिक कल्याण की योजनाएं चलती हैं । यह देश के विकास की नींव का पत्थर है। भारत में, आयकर एक Progressive Tax System पर काम करता है। इसका सीधा सा मतलब है: "जितनी अधिक आय, उतना अधिक टैक्स"। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि देश के विकास का बोझ समान रूप से वितरित हो सके।
किन-किन लोगों को Income Tax देना होता है?
यह सवाल सबसे ज्यादा पूछा जाता है। इसका जवाब बेहद सरल है: कोई भी व्यक्ति (Individual), कंपनी (HUF), फर्म (Firm), या कोई अन्य संस्था (AOP/BOI) जिसकी आय एक निश्चित सीमा से अधिक है, उसे आयकर देना होता है।
लेकिन, 'आय' की इस सीमा को समझने के लिए हमें दो अहम चीजें जाननी होंगी:
1. आयकर स्लैब (Income Tax Slabs): हर साल सरकार आय के हिसाब से अलग-अलग टैक्स दरें तय करती है, जिन्हें 'स्लैब' कहा जाता है। नवंबर 2025 की स्थिति के अनुसार, भारत में दो तरह के टैक्स सिस्टम मौजूद हैं: नया टैक्स रिजीम (New Tax Regime) और पुराना टैक्स रिजीम (Old Tax Regime)। आप इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं।
2. मूल छूट सीमा (Basic Exemption Limit): यह वह न्यूनतम आय है जिसके नीचे किसी भी व्यक्ति को कोई टैक्स नहीं देना होता।
नवंबर 2025 के अनुसार नए टैक्स रिजीम के स्लैब (जो अब डिफॉल्ट है) :
आयकर स्लैब (Yearly Income) टैक्स दर (Tax Rate)
₹4,00,001 से ₹8,00,000 5%
₹8,00,001 से ₹12,00,000 10%
₹12,00,001 से ₹16,00,000 15%
₹16,00,001 से ₹20,00,000 20%
₹20,00,001 से ₹24,00,000 25%
₹24,00,000 से ऊपर 30%
यहाँ एक बेहद खास बात ध्यान रखने वाली है: यूनियन बजट 2025 में धारा 87A के तहत टैक्स रिबेट की सीमा बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है । इसका मतलब यह हुआ कि नए टैक्स रिजीम में, अगर आपकी कुल टैक्सेबल आय ₹12,00,000 सालाना से कम है, तो आपको एक रुपया भी टैक्स नहीं देना होगा । सैलरी कमाने वालों के लिए ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलने के बाद, यह सीमा ₹12.75 लाख तक हो जाती है ।
पुराने टैक्स रिजीम के स्लैब (जिसे आप वैकल्पिक रूप से चुन सकते हैं) :
आयकर स्लैब 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के लिए
₹2,50,000 तक शून्य (Nil)
₹2,50,001 से ₹5,00,000 5%
₹5,00,001 से ₹10,00,000 20%
₹10,00,000 से ऊपर 30%
नोट: पुराने रिजीम में ₹5 लाख तक की आय पर धारा 87A के तहत ₹12,500 का रिबेट मिलता है, जिससे टैक्स लायबिलिटी शून्य हो जाती है । साथ ही, इस रिजीम में Section 80C, 80D जैसे कई डिडक्शन का लाभ मिलता है, जिनके जरिए आप अपनी टैक्सेबल आय को कम कर सकते हैं।
किन-किन Sources से कमाई गई Income पर Tax लगता है?
आयकर का दायरा सिर्फ आपके सैलरी के पर्चे तक सीमित नहीं है। आयकर अधिनियम के तहत आय को पाँच मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है :
1. वेतन से आय (Income from Salary): जो पैसा आपको नौकरी करने के बदले में मिलता है, जिसमें बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता, बोनस आदि शामिल हैं।
2. गृह संपत्ति से आय (Income from House Property): अगर आपके पास कोई घर, दुकान या बिल्डिंग है जो किराये पर चल रही है, तो उससे मिलने वाले किराये की आय इसी श्रेणी में आती है।
3. व्यवसाय या पेशे से लाभ (Profits and Gains from Business or Profession): अगर आप कोई व्यापार चलाते हैं या डॉक्टर, वकील, सीए जैसा कोई पेशा अपनाते हैं, तो उससे होने वाला मुनाफा इसके दायरे में आता है।
4. पूंजीगत लाभ (Capital Gains): शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, या प्रॉपर्टी में निवेश करके उसे बेचने पर होने वाला मुनाफा इस श्रेणी में आता है। इसे Short-Term और Long-Term में बांटा गया है।
5. अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources): बैंक FD पर मिलने वाला ब्याज, लॉटरी, किसी को उधार देकर उस पर मिलने वाला ब्याज, या डिविडेंड इनकम इसी श्रेणी में आती है।
नवंबर 2025 के संदर्भ में नया Income Tax Act, 2025 और उसके मुख्य बदलाव
आयकर की दुनिया में सबसे बड़ी खबर Income-tax Act, 2025 का आना है, जो 21 अगस्त, 2025 को कानून बन चुका है और 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा । यह नया कानून 1961 वाले पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेगा। इसके मुख्य उद्देश्य हैं - कानून को सरल बनाना, टैक्स भरने में आसानी, और मुकदमेबाजी कम करना ।
इसके प्रमुख बदलावों पर एक नजर:
- एकीकृत 'Tax Year' की अवधारणा: पुराने 'Previous Year' और 'Assessment Year' के भ्रम को खत्म करके अब सिर्फ 'Tax Year' (1 अप्रैल से 31 मार्च) की अवधारणा लाई गई है ।
- सरलीकृत भाषा और ढांचा: नया कानून ज्यादा साफ-सुथरी भाषा में लिखा गया है। इसमें Sections की संख्या 800 से अधिक से घटाकर 536 कर दी गई है ।
- TDS प्रावधानों का समेकन: TDS से जुड़े सारे नियम अब एक ही जगह (Section 393 में) एक टेबल के फॉर्मेट में दिए गए हैं, जिससे उन्हें समझना आसान हो गया है ।
- Virtual Digital Assets (VDAs) को मान्यता: क्रिप्टोकरेंसी और NFT जैसी डिजिटल संपत्तियों को आधिकारिक तौर पर 'संपत्ति' के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे उनके टैक्सेशन में स्पष्टता आएगी ।
- प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन में बदलाव: छोटे व्यवसायियों और पेशेवरों (डॉक्टर, वकील) के लिए प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन की सीमा बढ़ाई गई है। पेशेवरों के लिए यह सीमा ₹50 लाख से बढ़ाकर ₹75 लाख कर दी गई है ।
निष्कर्ष: टैक्स सिर्फ एक कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय कर्तव्य है , आयकर कोई डरावनी चीज नहीं है, बल्कि एक सभ्य और व्यवस्थित समाज की बुनियाद है। यह हमारी आर्थिक भागीदारी का एक जरिया है। सही समय पर और सही तरीके से टैक्स भरना न सिर्फ कानून का पालन है, बल्कि देश के प्रति हमारा नैतिक दायित्व भी है। अगर आपकी आय टैक्स देने योग्य सीमा से ऊपर है, तो एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर आपका यह फर्ज बनता है कि आप अपना योगदान दें। टैक्स की दुनिया जटिल जरूर है, लेकिन थोड़ी सी जागरूकता और सीखने की ललक के साथ आप इसे आसानी से समझ सकते हैं और सही वित्तीय निर्णय ले सकते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। यह किसी भी तरह की वित्तीय या कानूनी सलाह नहीं है। आयकर से जुड़े किसी भी निर्णय पर अमल करने से पहले, एक योग्य Chartered Accountant (CA) या Tax Advisor से सलाह जरूर लें।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें