शेयर मार्केट क्या है? – पूरी जानकारी हिंदी में

By finmaster 

क्या आपने कभी सोचा है कि जब लोग कहते हैं, "आज मार्केट उपर गया है" या "शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है", तो आखिर उनकी बात का मतलब क्या होता है? क्या यह सच में एक 'बाज़ार' है, जहाँ कुछ खरीदा और बेचा जाता है? जी हाँ, बिल्कुल! शेयर मार्केट (Share Market), जिसे स्टॉक मार्केट (Stock Market) भी कहते हैं, वह मंच है जहाँ दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के हिस्से खरीदे और बेचे जाते हैं ।


साधारण शब्दों में कहें, तो यह एक ऐसा बाजार है जहाँ आप और हम Reliance, TATA, Infosys जैसी कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा हिस्सा खरीद सकते हैं। जिस तरह सब्जी मंडी में सब्जी का सौदा होता है, ठीक वैसे ही शेयर बाजार में कंपनियों के शेयर (Share) यानी हिस्से का । जब आप किसी कंपनी का एक शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के एक छोटे से हिस्से के मालिक बन जाते हैं । यह बाजार किसी भी विकसित अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, क्योंकि यह कंपनियों को विस्तार के लिए पूंजी जुटाने और आम लोगों को देश की आर्थिक तरक्की में हिस्सेदार बनने का मौका देता है ।

प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट – दो मार्केट, एक मकसद -

शेयर मार्केट को मोटे तौर पर दो हिस्सों में बांटा जा सकता है: प्राइमरी मार्केट (Primary Market) और सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market) । इन दोनों के बीच का अंतर समझना बहुत जरूरी है।

  •  प्राइमरी मार्केट : नई शुरुआत का मंच 

 यह वह जगह है जहाँ किसी कंपनी के शेयर पहली बार जनता के सामने आते हैं। जब कोई Private Company बड़ी होकर Public Company बनना चाहती है और पूंजी जुटाना चाहती है, तो वह IPO (Initial Public Offering) लाती है । इस IPO के जरिए, निवेशक सीधे कंपनी से उसके शेयर खरीदते हैं। इस प्रक्रिया में जो पैसा जुटता है, वह सीधे कंपनी के पास जाता है, जिसे वह अपने व्यवसाय के विस्तार, नई मशीनें खरीदने या कर्ज चुकाने जैसे कामों में लगाती है । आसान भाषा में कहें तो, प्राइमरी मार्केट किसी कंपनी की 'ग्रैंड लॉन्च' जैसा होता है।

  • सेकेंडरी मार्केट : लगातार चलने वाला बाजार
  एक बार IPO के जरिए शेयर निवेशकों के हाथ में आ जाएं, तो उनकी खरीद-बिक्री का सफर यहीं खत्म नहीं होता। अब यही शेयर सेकेंडरी मार्केट में आते हैं, जो ज्यादातर लोगों के लिए 'शेयर मार्केट' का असली चेहरा है । यह वह मंच है जहाँ निवेशक एक-दूसरे के साथ शेयरों का व्यापार करते हैं। इसमें कंपनी का कोई सीधा हाथ नहीं होता। अगर आपने IPO में Infosys के शेयर खरीदे और अब आप उन्हें बेचना चाहते हैं, तो आपका यह ऑर्डर सेकेंडरी मार्केट में ही पूरा होगा। यहीं पर NSE (National Stock Exchange) और BSE (Bombay Stock Exchange) जैसे स्टॉक एक्सचेंज काम आते हैं, जो खरीदार और विक्रेता को एक सुरक्षित मंच पर एक साथ लाते हैं। 

शेयर मार्केट कैसे काम करता है? – सप्लाई और डिमांड का खेल

शेयर मार्केट की मूल भावना बेहद सरल है: सप्लाई और डिमांड (Supply and Demand) । जिस शेयर की मांग ज्यादा होगी और सप्लाई कम, उसकी कीमत बढ़ेगी। और जिस शेयर की मांग कम होगी और सप्लाई ज्यादा, उसकी कीमत गिरेगी।

यह पूरा सिस्टम कई प्रमुख खिलाड़ियों के सहयोग से चलता है:

1. स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchanges): ये बाजार के वह ढांचा हैं, जहाँ असल में खरीद-बिक्री होती है। भारत में BSE (Bombay Stock Exchange) और NSE (National Stock Exchange) दो प्रमुख एक्सचेंज हैं । ये यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी लेन-देन पारदर्शी और नियमों के मुताबिक हों।

2. ब्रोकर (Broker): आम निवेशक सीधे स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड नहीं कर सकते। इसके लिए उन्हें SEBI द्वारा रजिस्टर्ड एक ब्रोकर की जरूरत होती है । ब्रोकर आपके और स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक कड़ी का काम करता है। जब आप शेयर खरीदने या बेचने का आदेश देते हैं, तो ब्रोकर उसे एक्सचेंज तक पहुंचाता है और इस सेवा के बदले एक छोटा सा कमीशन लेता है। आजकल ज्यादातर ब्रोकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या ऐप के जरिए यह सुविधा देते हैं।

3. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट (Demat and Trading Account): शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए आपके पास दो खास तरह के खाते होने चाहिए ।

   · डीमैट अकाउंट (Demat Account): यह आपके शेयरों को डिजिटल रूप में रखने का बैंक खाता है। पहले शेयरों के Physical Certificate होते थे, लेकिन अब सब कुछ डिजिटल हो गया है। आपके सारे शेयर इसी खाते में जमा रहते हैं ।

   · ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account): यह खाता आपको शेयर बाजार में ऑर्डर देने की इजाजत देता है। जब आप कोई शेयर खरीदते या बेचते हैं, तो यह आदेश आपके ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए ही जाता है।

4. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI): SEBI भारत के शेयर बाजार का सर्वेक्षक है । इसका काम यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में सब कुछ निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चले, निवेशकों के हित सुरक्षित रहें और किसी तरह की धोखाधड़ी न हो सके। SEBI कंपनियों, ब्रोकरों और अन्य सभी भागीदारों पर नजर रखता है।

स्टॉक इंडेक्स – बाजार के 'मूड मीटर'

जब भी आप TV पर यह सुनते हैं कि "आज सेंसेक्स 500 अंक ऊपर बंद हुआ", तो इसका मतलब यह नहीं होता कि सिर्फ एक कंपनी के शेयर ऊपर गए। दरअसल, सेंसेक्स (SENSEX) और निफ्टी (NIFTY) बाजार के इंडेक्स हैं, जो कई कंपनियों के शेयरों के समग्र प्रदर्शन का सूचक हैं ।

  • सेंसेक्स (SENSEX): BSE का सूचकांक है, जिसमें भारत की 30 सबसे बड़ी और सबसे अधिक सक्रिय रूप से कारोबार करने वाली कंपनियां शामिल होती हैं।
  • निफ्टी 50 (NIFTY 50): NSE का सूचकांक है, जिसमें 50 प्रमुख कंपनियां शामिल होती हैं।

ये इंडेक्स पूरे बाजार के स्वास्थ्य और दिशा का संकेत देते हैं। अगर सेंसेक्स और निफ्टी ऊपर जा रहे हैं, तो इसे बुल मार्केट (Bull Market) कहा जाता है, यानी निवेशक आश्वस्त हैं और बाजार में तेजी का माहौल है। और अगर ये लगातार गिर रहे हैं, तो इसे बेयर मार्केट (Bear Market) कहते हैं, यानी बाजार में मंदी छाई हुई है ।

शेयर मार्केट में क्या-क्या ट्रेड होता है?

शेयर मार्केट में सिर्फ कंपनियों के शेयर ही नहीं, बल्कि कई तरह के वित्तीय उत्पाद भी खरीदे-बेचे जाते हैं:

  •  शेयर्स (Shares): किसी कंपनी में स्वामित्व को दर्शाने वाली इकाइयां ।
  •  बॉन्ड्स (Bonds): यह एक तरह का कर्ज होता है। जब आप किसी कंपनी या सरकार का बॉन्ड खरीदते हैं, तो आप उसे उधार दे रहे होते हैं। बदले में, वह आपको निश्चित समय पर ब्याज देती है और एक निश्चित अवधि के बाद आपका मूल धन लौटा देती है ।
  • म्यूचुअल फंड (Mutual Funds): यह एक ऐसा तरीका है जिसमें कई निवेशक अपना पैसा मिलाते हैं और एक पेशेवर फंड मैनेजर उस पूल किए गए पैसे को विभिन्न कंपनियों के शेयरों और बॉन्ड्स में निवेश करता है । इससे छोटे निवेशकों को विविधीकरण (Diversification) का फायदा मिलता है।
  •  एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETFs): यह म्यूचुअल फंड की तरह ही होते हैं, लेकिन इन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की तरह ही खरीदा और बेचा जा सकता है । यह अक्सर किसी खास इंडेक्स, जैसे NIFTY 50, को ट्रैक करते हैं।
  •  डेरिवेटिव्स (Derivatives): यह अनुभवी निवेशकों के लिए उत्पाद हैं। इनमें फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे कॉन्ट्रैक्ट्स शामिल होते हैं, जिनका मूल्य किसी अंतर्निहित संपत्ति (जैसे कोई शेयर) पर निर्भर करता है । इनका इस्तेमाल भविष्य में होने वाले जोखिम से बचाव (Hedging) या सट्टेबाजी (Speculation) के लिए किया जाता है।

शेयर मार्केट में निवेश कैसे शुरू करें? 

अगर आप शेयर मार्केट में निवेश शुरू करना चाहते हैं, तो यह रास्ता आपके लिए है:

1. शिक्षित हों (Get Educated): सबसे पहला और जरूरी कदम है सीखना। बाजार के बुनियादी सिद्धांतों, अलग-अलग निवेश रणनीतियों और जोखिमों को समझें। यह ब्लॉग इसकी एक शुरुआत है।

2. एक ब्रोकर चुनें (Choose a Broker): एक विश्वसनीय और SEBI-रजिस्टर्ड ब्रोकर का चयन करें। Zerodha, Upstox, Angel One, ICICI Securities, HDFC Securities जैसे कई ऑनलाइन डिस्काउंट ब्रोकर हैं जो कम ब्रोकरेज पर सेवाएं देते हैं।

3. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें (Open Demat & Trading Account): अपने चुने हुए ब्रोकर के साथ अपने डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें। यह प्रक्रिया अब पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई है और कुछ ही घंटों में पूरी हो जाती है।

4. पहला निवेश करें (Make Your First Investment): एक बार अकाउंट खुल जाने के बाद, उसमें पैसा ट्रांसफर करें और अपने पहले शेयर या म्यूचुअल फंड की यूनिट खरीदें। शुरुआत छोटे स्तर से करें और किसी ऐसी कंपनी से शुरुआत करें जिसे आप अच्छी तरह से जानते और समझते हों।

5. अपने पोर्टफोलियो पर नजर रखें (Monitor Your Portfolio): निवेश करने के बाद लापरवाह न बनें। समय-समय पर अपने निवेश के प्रदर्शन की समीक्षा करते रहें और जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव करें।

शेयर मार्केट के फायदे और नुकसान:

किसी भी निवेश की तरह, शेयर मार्केट में भी फायदे और नुकसान दोनों हैं।

फायदे (Advantages):

  • धन निर्माण (Wealth Creation): लंबी अवधि में, शेयरों ने बैंक Fixed Deposit (FD) या सोने जैसे पारंपरिक निवेशों के मुकाबले बेहतर रिटर्न दिया है ।
  •  लिक्विडिटी (Liquidity): शेयर बाजार में अधिकांश शेयरों को आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है, यानी आप जब चाहें अपने निवेश को नकदी में बदल सकते हैं ।
  •  सहज मालिकाना हक (Ownership): शेयर खरीदकर आप देश की सबसे बड़ी कंपनियों में हिस्सेदार बन सकते हैं।
  •  विविधीकरण (Diversification): अलग-अलग कंपनियों और सेक्टरों में निवेश करके आप अपने जोखिम को फैला सकते हैं ।

नुकसान (Risks):

  • जोखिम (Risk): "शेयरों की कीमतें घट भी सकती हैं और बढ़ भी" – यह सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक कड़वा सच है। आप अपने निवेश का एक हिस्सा या पूरा निवेश खो सकते हैं ।
  •  बाजार में अस्थिरता (Market Volatility): शेयर बाजार हमेशा ऊपर-नीचे होता रहता है। यह उतार-चढ़ाव कभी-कभी बहुत तेज और अप्रत्याशित हो सकता है, जिससे निवेशक घबरा सकते हैं।
  •  भावनात्मक रोलर कोस्टर (Emotional Roller Coaster): लालच और डर के चलते निवेशक अक्सर गलत निर्णय ले बैठते हैं, जैसे गिरते बाजार में शेयर बेच देना या बुलबुले वाले शेयरों में पैसा लगा देना।

निवेश बनाम सट्टा – अहम फर्क

यह समझना बेहद जरूरी है कि निवेश और सट्टेबाजी में बहुत बड़ा अंतर है।

  •  निवेश (Investing): इसमें लंबी अवधि का नजरिया होता है। एक निवेशक किसी कंपनी के मूलभूत सिद्धांतों (जैसे मुनाफा, प्रबंधन, भविष्य की संभावनाएं) का अध्ययन करके उसमें पैसा लगाता है और सालों तक बनाए रखता है। उसका मकसद कंपनी की वृद्धि से लगातार लाभ कमाना होता है।
  • सट्टा (Speculation/Trading): इसमें अल्पकालिक मुनाफा कमाना होता है। एक सटोरिया या ट्रेडर शेयर की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव से फायदा उठाना चाहता है। उसके लिए कंपनी का मूल्य उतना महत्वपूर्ण नहीं होता, जितना कि उसके शेयर की कीमत का चार्ट। इसमें जोखिम बहुत ज्यादा होता है शुरुआती निवेशकों के लिए हमेशा निवेश का रास्ता ही बेहतर होता है।


आम गलतफहमियां और सच्चाई :

शेयर मार्केट को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं, आइए उनमें से कुछ को स्पष्ट करते हैं:

  •  गलतफहमी: "शेयर मार्केट एक जुए की तरह है।"

  सच्चाई: जुए में पूरी तरह से भाग्य का खेल होता है, जबकि शेयर मार्केट में शिक्षा, शोध और धैर्य से काम लेना पड़ता है। लंबी अवधि में, अच्छी कंपनियों में किया गया निवेश हमेशा अच्छा मुनाफा देता है।

  •  गलतफहमी: "निवेश करने के लिए बहुत सारे पैसे चाहिए।"

  सच्चाई: यह बिल्कुल गलत है। आज आप महज ₹100 या ₹500 से भी म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश शुरू कर सकते हैं। कई कंपनियों के शेयर भी कम कीमत पर उपलब्ध हैं।

  •  गलतफहमी: "पैसा डबल करने का सबसे तेज़ तरीका है।"

  सच्चाई: शेयर मार्केट कोई 'गेट रिच क्विक' स्कीम नहीं है। इसमें धन निर्माण एक धीमी और स्थिर प्रक्रिया है। रातोंरात अमीर बनाने के दावे अक्सर धोखाधड़ी साबित होते हैं।

निष्कर्ष:

शेयर मार्केट एक शक्तिशाली वित्तीय उपकरण है जो आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकता है, चाहे वह घर खरीदना हो, बच्चों की पढ़ाई हो या आरामदायक रिटायरमेंट। हालांकि, यह कोई सुनिश्चित सफलता का रास्ता नहीं है। इसमें जोखिम हमेशा बना रहता है। सफलता का राज़ शिक्षा, शोध, धैर्य और अनुशासन में छुपा है। छोटी शुरुआत करें, लगातार सीखते रहें और लंबी अवधि के नजरिए से सोचें। इस तरह, आप शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव भरी यात्रा में खोने की बजाय, एक सफल निवेशक के तौर पर उभर सकते हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। यह किसी भी तरह की निवेश सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश करने से पहले किसी वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से सलाह जरूर लें।

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