EMI क्या है? कैसे काम करती है? जानिए पूरी जानकारी सरल शब्दों में -

 By finmaster 

आपको कभी ऐसा लगा है? आप एक नई कार देख रहे हैं या अपने सपनों का घर, और दिल कहता है, "काश यह मेरा होता।" फिर आप कीमत देखते हैं और मन ही मन सोचते हैं, "यह तो मेरी पहुँच से बाहर है।" लेकिन फिर कोई आपसे कहता है, "इसकी EMI सिर्फ 15,000 रुपये महीने की आएगी।" और अचानक वह सपना थोड़ा सच लगने लगता है। EMI यानी ईज़ी मंथली इंस्टॉलमेंट आज हर जगह है – घर खरीदने से लेकर फोन खरीदने तक। पर क्या आपने कभी सोचा है कि यह 'ईज़ी' इंस्टॉलमेंट आखिर कैसे काम करती है? और क्या यह सच में उतनी 'ईज़ी' होती है जितना नाम से लगता है?

चलिए, आज हम गहराई से समझते हैं कि यह EMI नाम की चीज़ क्या बला है।

EMI क्या है? 

EMI का मतलब है इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट। सीधे शब्दों में, जब आप किसी बड़ी चीज़ को खरीदने के लिए बैंक या कंपनी से कर्ज़ (लोन) लेते हैं, तो उस कर्ज़े को आपको वापस करना होता है। EMI उस कर्ज़े को वापस करने का एक तरीका है – जहाँ आप हर महीने एक बराबर रकम बैंक को देते हैं, जब तक कि पूरा कर्ज़ा चुकता न हो जाए।

यह समझना बहुत ज़रूरी है: EMI सिर्फ आपका कर्ज़ा नहीं है। उसमें दो हिस्से होते हैं:

1. प्रिंसिपल (मूलधन): वह असली रकम जो आपने कर्ज़े में ली थी।

2. इंटरेस्ट (ब्याज): उस पैसे को उधार लेने के लिए आप बैंक को जो अतिरिक्त पैसा देते हैं।

EMI की मदद से एक बहुत बड़ी रकम को वापस करने का बोझ, छोटे-छोटे महीने के भुगतानों में बाँट दिया जाता है, ताकि वह आपके लिए मैनेज करने लायक बन जाए।

EMI कैसे काम करती है? एक आसान सा उदाहरण -

मान लीजिए, आपने एक 10 लाख रुपये का लोन लिया है। बैंक ने कहा कि ब्याज दर 10% सालाना है और आपको इसे 5 साल (60 महीने) में चुकाना है। इसके लिए आपकी EMI कैलकुलेट होगी।

EMI कैलकुलेशन का एक खास गणित होता है। आपको डरने की ज़रूरत नहीं, हम इसे आसान बनाते हैं। हर महीने, आप एक निश्चित रकम (मान लीजिए ₹21,247) बैंक को देंगे। पहले कुछ महीनों में, इस ₹21,247 का एक बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में चला जाएगा, और बहुत छोटा हिस्सा ही आपके असली कर्ज़ (10 लाख) को घटा पाएगा। जैसे-जैसे समय बीतेगा, हर EMI में ब्याज का हिस्सा कम होता जाएगा और मूलधन का हिस्सा बढ़ता जाएगा। यह प्रक्रिया पूरे 60 महीनों तक चलेगी।

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं: शुरुआत में आप बैंक को ज़्यादा ब्याज दे रहे होते हैं, क्योंकि आपका बकाया कर्ज़ अभी बहुत ज़्यादा (10 लाख) है। जैसे-जैसे कर्ज़ा कम होता जाता है, उस पर लगने वाला ब्याज भी अपने आप कम होने लगता है।

EMI के अलग-अलग पहलू: वो बातें जो अक्सर पूछी जाती हैं

1. EMI Vs मिनिमम अमाउंट ड्यू (क्रेडिट कार्ड)

बहुत से लोग क्रेडिट कार्ड के 'मिनिमम अमाउंट ड्यू' को भी EMI समझ बैठते हैं। यह बिल्कुल गलत है।

  • EMI: एक तय समय सीमा के लिए एक तय रकम, जिसे पूरा भरने पर आपका कर्ज़ पूरी तरह खत्म हो जाता है।
  • मिनिमम अमाउंट ड्यू: सिर्फ आपका ब्याज और कुछ मूलधन। बाकी बचा कर्ज़ अगले महीने के लिए पड़ा रहता है और उस पर भारी ब्याज चलता रहता है। यह एक खतरनाक जाल है।

2. प्रीपेमेंट और फॉरक्लोजर – क्या आप EMI से पहले छुटकारा पा सकते हैं?

हाँ,ज़्यादातर लोन में यह सुविधा होती है।

  • प्रीपेमेंट: आप अपनी EMI से ज़्यादा रकम एक साथ जमा करके अपना कर्ज़ा जल्दी खत्म कर सकते हैं। इससे आप ब्याज बचाते हैं। कुछ लोन (जैसे होम लोन) में प्रीपेमेंट पर पेनल्टी भी लग सकती है, इसलिए पहले नियम पूछ लें।
  • फॉरक्लोजर: पूरा बकाया कर्ज़ एक साथ चुका कर लोन को पूरी तरह बंद कर देना।

3. फ्लोटिंग Vs फिक्स्ड ब्याज दर :

  • फिक्स्ड रेट: EMI शुरू से अंत तक एक जैसी रहेगी। ब्याज दर बाजार के साथ ऊपर-नीचे नहीं होगी। शांति और योजना बनाने में आसानी।
  • फ्लोटिंग रेट: ब्याज दर बाजार के हिसाब से बदल सकती है। अगर दरें घटेंगी तो आपकी EMI कम हो सकती है या लोन जल्दी खत्म हो सकता है। लेकिन अगर दरें बढ़ेंगी तो EMI बढ़ भी सकती है। इसमें अनिश्चितता रहती है।

EMI चुनते समय ध्यान रखने वाली बातें – थोड़ी सी सावधानी

  • EMI एक सुविधा है, लेकिन बिना सोचे-समझे लेने पर यह बोझ बन सकती है। इन बातों का हमेशा ध्यान रखें:
  • कभी भी महीने की आमदनी का 40-50% से ज़्यादा EMI में न बाँधें। अपने अन्य खर्चों (रहन-सहन, बचत, इमरजेंसी) के लिए जगह छोड़ें। इससे आप कर्ज़ के जाल में नहीं फँसेंगे।
  • लोन की अवधि लंबी करने से EMI कम होती है, लेकिन कुल मिलाकर आप ज़्यादा ब्याज चुकाते हैं। उदाहरण के लिए, 20 साल के होम लोन में आप अक्सर घर की कीमत से दोगुना ब्याज चुका देते हैं। जितना कम समय ले सकें, उतना अच्छा।
  • EMI शुरू करने से पहले छुपे हुए खर्चे पूछ लें: प्रोसेसिंग फीस, लेट पेमेंट चार्ज, इंश्योरेंस चार्ज, आदि।
  • अपनी 'ज़रूरत' और 'चाहत' में फर्क समझें। क्या आपको वह चीज़ सच में चाहिए, या सिर्फ EMI का लालच देखकर ले रहे हैं? EMI किसी चीज़ को सस्ता नहीं बनाती, बस उसकी कीमत चुकाने का समय बढ़ा देती है।

तो क्या करें? कैसे करे समझदारी से EMI का इस्तेमाल ? 

EMI अपने आप में न अच्छी है न बुरी। यह एक टूल है। अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह आपको अपने बड़े सपने (जैसे घर, अपना बिज़नेस, उच्च शिक्षा) पूरे करने में मदद कर सकती है। लेकिन गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर (बिना सोचे-समझे शॉपिंग के लिए), यह एक जाल बन सकती है जो आपको वित्तीय तनाव में डाल देती है।

अगली बार जब भी आप '0% EMI' या 'कम EMI' का ऑफर देखें, तो एक बार रुककर खुद से पूछें:

1. क्या यह मेरे लिए एक ज़रूरत है या सिर्फ एक इच्छा?

2. क्या मैं अगले 2-3 साल तक इस EMI को आसानी से भर सकता हूँ, बिना दूसरे ज़रूरी खर्चों को काटे?

3. क्या मैंने कुल ब्याज और छुपे हुए चार्जेस की गणना कर ली है?

अगर जवाब 'हाँ' हैं, तो EMI आपके लिए एक अच्छी मदद हो सकती है। अगर जवाब 'नहीं' हैं, तो शायद इंतज़ार करना या सेविंग करना बेहतर विकल्प होगा।

आखिर में, याद रखिए – आपकी वित्तीय आज़ादी और मानसिक शांति, किसी भी नए फोन या गैजेट से कहीं ज़्यादा कीमती है। सोच-समझकर फैसला करें।

अस्वीकरण (Disclaimer) :

यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी को किसी भी प्रकार की वित्तीय या कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी लोन उत्पाद या EMI योजना में निवेश/भागीदारी का निर्णय लेने से पहले, स्वयं अपनी शोध करें और किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से व्यक्तिगत सलाह अवश्य लें। लोन संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले बैंक या वित्तीय संस्थान की आधिकारिक नियम व शर्तों को ध्यान से पढ़ें। लेखक या प्रकाशक किसी भी निर्णय के परिणामों के लिए उत्तरदायी नहीं है।

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